अनिल धीमान,संपादक 'डिस्कवरी टाइम्स'
कुरूक्षेत्र: पंजाब के महामहिम राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि वेद पूरे संसार को ज्ञान का रास्ता दिखाते हैं, हमें महर्षि दयानन्द सरस्वती के आह्वान को याद करते हुए वेदों की ओर लौटना होगा ओर उस ज्ञान की ज्योति से लाभ लेना होगा। वेदों के रास्ते पर चलकर ही हमारा देश 2047 में पूरी दुनिया का नेतृत्व करते हुए विश्व गुरू बनेगा। वे रविवार को कुरूक्षेत्र ब्रहमसरोवर के योग भवन प्रांगण में वेद विद्या शोद्य संस्थान के तत्वाधान में महर्षि दयानन्द सरस्वती की द्वितीय जन्मशताब्दी वर्ष समारोह के समापन, सत्यार्थ प्रकाश के लेखन के 150 वर्ष पूरे होने व आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। महामहिम पंजाब राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने उस समय समाज में फैली कुरितियों छूआछूत, जातपात को मिटाते हुए समानता से जीने का अधिकार देने का काम किया था। सबसे बड़ी बात तो उस समय महिला शिक्षा को जरूरी बताकर महिला शक्ति को सबसे बड़ा सम्मान दिया था। स्वामी जी ने नशे के खिलाफ लोगों को जगाया व लोगों को पाखंड ओर अंधविश्वास के प्रति जगाया। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि में उस धरती का रहने वाला हूं जहां पर महर्षि दयानन्द ने दुनिया को सच्चाई से जोड़ते हुए वेदों को उन तक पहुंचाने के लिए सत्यार्थ प्रकाश के लेखन का कार्य किया था। सत्यार्थ प्रकाश ने न जाने कितने लोगों का जीवन बदल दिया है। महामहिम राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वेद मानव कल्याण का साधन है। हमें वेदों की ओर लौटना होगा। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक स्वामी सम्पूणानन्द को बधाई देते हुए कहा कि स्वामी जी ने जिस धरती से पूरी दूनिया को गीता का ज्ञान मिला था, उस धरती पर चारों वेदों का लगातार बारह दिनों तक सुर्योदय से सुर्यास्त तक यज्ञ आयोजित कर पूरी दूनिया से विद्वानों, संतों, आर्य समाज से जुड़े लोगों का कुरूक्षेत्र की पावन धरा पर जमावड़ा लगा कर महर्षि दयानन्द सरस्वती के विचारों व उनके चिंतन को सही मायने में पूरी दूनिया तक पहुंचाने का पुण्य का कार्य किया हैै।
पूरी दूनिया के लिए सबसे बड़ा चिंतन महर्षि दयानन्द का: सम्पूर्णानन्द
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक स्वामी सम्पूर्णानन्द सरस्वती ने अपने सम्बोधन में कहा कि पूरी दूनिया के लिए महर्षि दयानन्द का चिंतन सबसे बड़ा है। जिससे लोगों में बड़ा बदलाव आया। महर्षि दयानन्द सरस्वती हरियाणा की धरा पर अम्बाला रेलवे स्टेशन व रेवाड़ी में आए थे। रेवाड़ी में महर्षि ने सबसे पहली गौशाला खुलवाई थी। मात्र दो जगह आने के बाद से ही पूरे हरियाणा में उनके विचारों की गुंज थी। अब उनका प्रयास है कि कुरूक्षेत्र की धरा से महर्षि के विचार पूरी दूनिया तक जाए।
इस अवसर पर आयोजन कमेटी ने महामहिम राज्यपाल को स्मृति चिन्ह व गायत्री पटिटका से सम्मानित किया। आयोजन कमेटी ने देश व विदेशों में आर्य समाज का बढ़चढ़ कर प्रचार करने वाले कुछ लोगों का माननीय राज्यपाल के हाथों से सम्मानित करवाया।
इस अवसर पर सीकर के पूर्व सांसद स्वामी सुमेदानन्द जी महाराज, जैन समाज के अध्यक्ष मनिन्द्र कुमार जैन, ईश्वरर अग्रवाल, पदमसैन गुप्ता, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समर सिंह, कुरूक्षेत्र जिला परिषद के वाईस चेयरमैन डी.पी.चौधरी, रणजीत चौहान, आर्य दिलबाग लाठर, योगेश आर्य, आचार्य संदीपन, हिमाचल प्रदेश से देश राज आर्य सहित विभिन्न समाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों के अलावा भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।