वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात् ह्रदय को हर्षो-उल्लास और उमंग से भर देने वाला क्षण होगा 22 जनवरी 2024 - Discovery Times

Breaking

वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात् ह्रदय को हर्षो-उल्लास और उमंग से भर देने वाला क्षण होगा 22 जनवरी 2024

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

 “सदियों की प्रतीक्षा का फल: राम मंदिर”

श्रीराम का जीवन हो या हो अलौकिक मंदिर निर्माण।

सहने पड़े दोनों को ही अनंत संघर्षो के बाण।।

जो श्रीराम करते स्वयं सृष्टि का शंखनाद।

उनके जीवन और मंदिर निर्माण में आए कई विघ्न एवं विवाद।।


वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात् ह्रदय को हर्षो-उल्लास और उमंग से भर देने वाला, नैनों में भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित करने वाला क्षण 22 जनवरी को आने वाला है। राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और उनके स्वागत के भव्य आयोजन के हम भी साक्षी होंगे, यह राम कृपा और हमारा अहोभाग्य है। फिर से प्रभु श्री राम अपने जन्म स्थल में विराजमान होने वाले है। राम मंदिर निर्माण हो या श्री राम का जीवन, धैर्य इसमें सदैव महत्वपूर्ण रहा है। राम भक्तों जैसे अहिल्या, शबरी, केवट, सुग्रीव इत्यादि ने भी अनंत प्रतीक्षा के पश्चात् ही प्रभु से भक्ति का अनुराग प्राप्त किया था। भक्त हनुमान, माता सीता और भाई  भरत ने भी श्री राम से धैर्य का ही पाठ सीखा था। राम लला के विराजमान होने का सभी भक्तजन तत्परता से इंतज़ार कर रहे है। प्रत्येक भक्त इस भव्य आयोजन पर हर्षो-उल्लास से झूमना चाहता है। आकुल-व्याकुल होकर राम लला के दर्शन का मनोरम दृश्य अपनी आँखों में संजो लेना चाहता है। अयोध्या जाकर राम लला के साथ बस राम मय होना चाहता है।


यह ऐतिहासिक दिन हमें सूर्यवंशी राम के आगमन के साथ अनंत भक्ति के सागर में डूबने को लालायित करता है। राम के धैर्य का पाठ हमें राम जन्मभूमि पर राम लला के आगमन में भी दिखाई दिया। संघर्षों के घेराव को भेदकर विजय प्राप्त करना ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। बहु प्रतीक्षित क्षण में राम लला का विराजमान होना तो निश्छल, सरल भक्तों की भक्ति का ही परिणाम है। हे राम लला तेरा वंदन, अभिनन्दन है। राम लला के अमोघ दर्शन एक अनूठे स्वप्न के साक्षात्कार का शंखनाद है। राम लला स्वरुप में आप हमें पुनः धैर्यवान बनने का पाठ सिखाते है।


अविस्मरणीय बहुप्रतीक्षित मंदिर निर्माण देता सीख।

जीवन की परीक्षाओं में धैर्य से लड़े निर्भीक।।

राम और राम मंदिर ने काटा अनंत वनवास।

फिर मनुष्य क्यों भयभीत होता अपने जीवन का त्रास।।


श्री राम तो स्वयं अधर्म के नाशक, कल्याण का आधार, उद्धारक, करुणा के अवतार है। राम में सकल संसार निहित है। राम नाम तो अर्पण, समर्पण, सुधा, संहारक, करुणा, आस, विश्वास, सृजन का प्रतिरूप है। अनूठे प्रेम के प्रतीक है श्री राम, वचनबद्धता के अनूठे निर्वाहक है श्री राम, पीड़ितों के सम्मान के रक्षक है श्री राम, प्रेम के वशीभूत होकर जो झूठा भी ग्रहण कर जाए वो है श्री राम, विनय और करुणा के अनूठे रूप है श्री राम, अन्याय के संहारक है श्री राम, शरणागत को भी ससम्मान स्थान देते है श्री राम, श्री राम सर्वस्व है। जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में हम राम नाम का ही स्मरण करते है। सुख-दुःख, अभिवादन, पीड़ा यहाँ तक ही मृत्यु के समय भी राम नाम ही सहाय और मुख से उच्चारित होता है। राम लला की भक्ति और राम नाम की शक्ति अनूठी और अद्वितीय है। अथाह प्रेम के सागर है श्री राम। सघन प्रीत और समर्पण की विजय है राम। राम ने अपने जीवन में अनवरत संघर्षों के द्वारा अनूठे आयाम रच दिए। ऐसे ही राम लला को भी विराजमान होने के पूर्व अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा। नभ की प्रफुल्लता तो देखिए, धरा की जगमगाहट तो देखिए, पाँच सदी का वनवास राम लला ने भी पूर्ण किया, राजा राम को तो कैकयी ने मात्र चौदह वर्ष का ही वनवास दिलवाया था। राम लला के अपने आलय में आने के पुण्य अवसर पर भक्त हर्षित है। वे प्रेम भाव के कुसुम अयोध्याधाम को समर्पित करना चाहते है। अश्रुपूरित नेत्र और अपार स्नेह से राम लला को निहारना चाहते है।     


अयोध्या तो राम लला की जन्मस्थली है। राम लला की प्रतिमा केवल प्रतिमा नहीं बल्कि प्रतिमान है। अवधपुरी की पहचान और मिथिला नगरी की शान है। राम लला तो भक्तवत्सल करुणानिधान है। महादेव स्वयं कहते है की मेरे कंठ में तो हलाहल विष विद्यमान है। परन्तु फिर भी मुझे राम नाम रूपी शिरोमणि से सदैव ही विश्राम है। प्रभु की चरण भूमि अब तीर्थ का रूप धारण कर चुकी है। राम की श्री राम बनने की यात्रा में राघव का वन-वन भटकना, युवावस्था में संघर्षों की तपन को सहना, जनकल्याण के लिए कन्दमूल खाकर वनवास काटना, यह सबकुछ सहज तो नहीं था, परन्तु आने वाले समाज के लिए प्रत्यक्ष उदाहरण तो प्रस्तुत करना था।


सृष्टि के सृजनकार, पालनहार श्री राम लला के विराजमान होने वाले पुण्य अवसर के इस विलक्षण क्षण के हम भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साक्षी होगें। राम लला के दर्शन की लालसा तो शायद ही समाप्त होगी। उनकी छवि निहार कर हमें मन-मंदिर में भी राम राज्य की स्थापना करनी है। राम नाम अभिवादन, पूजा एवं सत्कार भी है। भाव सागर से पार पाने के लिए भी हम राम नाम का ही आश्रय लेते है। आइये ऐसी पावन स्थली राम जन्मभूमि और राम लला की पावन भक्ति गंगा में गोते लगाएँ और प्रभु के चरणों में अपना स्थान सुनिश्चित करें। मन की चंचल गति की थाह पाना तो असंभव है, तो फिर क्यों न हम भक्ति भाव से विभोर होकर राम लला के स्वागत के लिए अंतर्मन में प्रकाश के दीप प्रज्वलित करें और अपने मन को ही अयोध्या रूपी तीर्थ में परिवर्तित करें। भव्य मंदिर, भव्य मूर्ति निर्माण संपन्न हो रहा है, पर भक्ति और आस्था के इस ऐतिहासिक उत्सव में सरल और उदार भावों का अभाव न होने पाए।


कण-कण में गुंजायमान है प्रभु श्रीराम।

राम लला के आगमन से अयोध्या बना है धाम।।

शुभ एवं पुण्यदायी अवसर है प्राण प्रतिष्ठा, अगाध श्रृद्धा और निष्ठा का।

डॉ. रीना कहती, यह समय है मनमंदिर में भी राम की स्थापना का।।


SUBSCRIBE !

Welcome to Discovery Times!Chat with us on WhatsApp
"Please tell us how can we help you today?”” "Discovery Times Newspaper, copy link open at WhatsApp: " https://whatsapp.com/channel/0029VaBIde7LCoX3IgmC5e2m ” " Subscribe link to our newspaper: " https://www.discoverytimes.in/p/subscription-newspaper-portal.html ” ...
Click me to start the chat...