जंगम मान्यताओं को सांस्कृतिक विरासत के रूप में सहेजने का बड़ा कार्य - Discovery Times

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जंगम मान्यताओं को सांस्कृतिक विरासत के रूप में सहेजने का बड़ा कार्य

 

पानीपत  (अनिल धीमान): भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सहेजने को अपना प्रमुख ध्येय बना चुकी भारत की बेटी प्रसिद्ध लेखिका डॉ. संजीव कुमारी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में भगवान शिव की अमर कथा को 'शिव पुरोहित: जंगम' के  रूप में लिपिबद्ध करने का साहसिक व सार्थक प्रयास किया है। इस पुस्तक को अपनी विशिष्टताओं के कारण इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस ने रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया है। 

इस विशेष पुस्तक को प्रसिद्ध लेखिका डॉ. संजीव कुमारी ने राममेहर व गोविंद जंगम के सहयोग से कठिन परिश्रम के बाद लिपिबद्ध किया है। यह पुस्तक अपने आप में अनूठी तरह की पहली पुस्तक है जो जंगम पर लिखी गई है। जंगम को शिव पुरोहित के रूप में जाना जाता है। जंगम अनादि काल से ही शिव महिमा गाते आ रहे हैं। यह गायन आज तक लिपिबद्ध नहीं हो पाया, जिसके कारण यह कथा विलुप्त होने की कगार पर है। ऐसी स्थिति में लेखिका ने यह पुस्तक लिखकर इसे संजोने का कार्य किया है।  लेखिका इसके लिए बधाई की पात्र है।  इस पुस्तक में गौरा जन्म, कलयुग कथा, शिव विवाह व  शिव द्वारा गौरा को अमर कथा सुनाने तक का विस्तार से वर्णन है। उनके प्रथम प्रयास को  इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने रिकॉर्ड के रूप में दर्ज कर, उन्हें विशेष सम्मान देने का काम किया है। 

डॉ. संजीव कुमारी की पुस्तक "शिव पुरोहित: जंगम"  इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज।
शिव पुरोहित जंगम पर पहली पुस्तक लिखने पर देश और विदेशों से भी डा. संजीव कुमारी को मिल रही बधाइयां....वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

      जंगम मान्यताओं को सांस्कृतिक विरासत के रूप में सहेजने का बड़ा कार्य लेखिका ने किया है। उन्होंने अस्तित्व से जूझते जंगमों द्वारा गाई जाने वाली शिव अमर कथा को संरक्षित करते हुए भगवान शिव के उपासकों को एक अनमोल उपहार भेंट किया है। जिससे करोड़ो उपासकों में अपार प्रसन्नता की लहर है। इससे पूर्व भी डॉ. संजीव कुमारी की झड़ते पत्ते, विष्णु अवतार: श्री देवनारायण, श्री देवनारायण फड़ कथा व पाबूजी की फड़ पुस्तकें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान बना चुकी है। उनकी इस विशेष उपलब्धि से चहुं ओर हर्ष की लहर है।


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