बरसात से प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं को हो सकती है कई प्रकार की बीमारियां जारी की एडवाइजरी - Discovery Times

Breaking

बरसात से प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं को हो सकती है कई प्रकार की बीमारियां जारी की एडवाइजरी

 
कुरुक्षेत्र (अनिल धीमान) 16 जुलाई: पशुपालन एवं डेयरी विभाग कुरुक्षेत्र हरियाणा के उपमंडल अधिकारी डा. जसवीर सिंह पंवार ने कहा कि ग्रीष्म ऋतु की तपिश से परेशान जन और प्राणियों को वर्षा की याद आने लगती है और जैसे ही उन्हें वर्षा का एहसास होने लगता है तो उनके चेहरे पर खुशी झलकने लगती है और वर्षा होने पर सभी खुश हो जाते हैं और इस मौसम का आनंद लेते हैं। किसान अपने खेतों में धान की रोपाई का कार्य पूर्ण करने जुट जाते हैं। लेकिन वर्षा के मौसम का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव भी होता है और अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ जैसे हालात या बाढ़ आने से जन-जीवन अस्त-व्यस्त भी हो जाता है। जिसका कुप्रभाव मनुष्यों सहित प्रत्येक श्रेणी के पशुओं और जीव-जंतुओं पर भी पड़ता है। उनकी आंतरिक रोग रोधक क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है परिणामस्वरूप पशु अनेक रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।

उपमंडल अधिकारी डा. जसवीर सिंह पंवार ने कहा कि वर्षा ऋतु में पशुओं में होने वाले प्रमुख संक्रामक रोग जैसे गलघोटू, लंगड़ा बुखार, खुरपका-मुंहपका, निमोनिया आदि हैं तथा इन रोगों से बहुत से पशुओं की जान भी चली जाती है। इन रोगों से अपने पशु धन को बचाने के लिए वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले पशुपालन एवं डेरी विभाग द्वारा मुफ्त में लगाये जाने वाले टीके अवश्य लगवा लेने चाहिए। वर्षा काल के दौरान आंतरिक (पेट के कीड़े) परजीवियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण पशु धन को बहुत प्रभावित करते हैं। आंतरिक परजीवी शरीर में पाए जाने वाले कृमि जैसे कि यकृत पत्ता कृमि, आंतों को प्रभावित करने वाले गोल कृमि एवं फीता कृमि हैं। नजदीकी पशु चिकित्सक की सलाह अनुसार पशुओं को कृमिनाशक दवाई को नियमित देने से पशु धन के स्वास्थ्य एवं उत्पादकता को प्रभावित करने वाले आंतरिक परजीवियों से बचाया जाना चाहिए। इस मौसम में बाह्य परजीवियों जैसे कि चिचड़ी, मक्खी, जूएं और अन्य कीटों से फैलने वाले रोग जैसे कि बबेसिओसिस, थिलेरिओसिस, एनाप्लाज्मोसिस, सर्रा इत्यादि प्रमुख रोग हैं।

ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में पशुओं की देखभाल के लिए आमजन करें सभी आवश्यक प्रबंध:पंवार
पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पशुओं की देखभाल के लिए जारी की एडवाइजरी, बरसात से प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं हो सकती है कई प्रकार की बीमारियां,

पशु चिकित्सक डा. केएल दहिया ने कहा कि वर्षा काल में खेतों में हरा भरपूर मात्रा में उगता है और साथ खेतों में धान की रोपाई का कार्य भी तेज गति पर होता है और उसमें कीटनाशकों का उपयोग सामान्य घटना है। एक खेत में डाली गई कीटनाशक दवा दूसरे खेत या चारे वाली फसल में चले जाना और विषाक्त चारा होना भी सामान्य घटना है। पशुओं को ऐसे स्थानों को चिन्हित करके संदूषित चारा खिलाने से बचना चाहिए। वर्षा काल में सूखे चारे और बासी हरे चारे में फफूंद लगने की अधिक संभावना होती है। वर्षा के समय बाहर खुले में बंधे दुधारू पशुओं दूध उत्पादन कम हो जाता है। पशु आवास सूखा, साफ-सुथरा, आरामदायक हवादार होना चाहिए। वर्षाकाल में दुधारू पशुओं में थनैला रोग होने की संभावना बढ़ जाती हैं। दूध दोहन के बाद लगभग आधा घंटा तक थन के छेद खुले रहते हैं जिन में से सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रवेश करने से थनैला रोग हो जाता है। पर्यावरण में अधिक नमी होने से जांघों और लेवटी के बीच मौजूद चमड़ी के संक्रमण से जख्म हो जाते है जिससे बचने के लिए शरीर के ऐसे स्थानों की नियमित जांच करनी चाहिए और संक्रमण/ जख्म होने पर उपचार करवाए।

SUBSCRIBE !

Welcome to Discovery Times!Chat with us on WhatsApp
"Please tell us how can we help you today?”” "Discovery Times Newspaper, copy link open at WhatsApp: " https://whatsapp.com/channel/0029VaBIde7LCoX3IgmC5e2m ” " Subscribe link to our newspaper: " https://www.discoverytimes.in/p/subscription-newspaper-portal.html ” ...
Click me to start the chat...