किसानों को जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक करें ताकि हम स्वयं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पौष्टिक अन्न उपलब्ध करवा सकें - Discovery Times

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किसानों को जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक करें ताकि हम स्वयं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पौष्टिक अन्न उपलब्ध करवा सकें

 


कुरुक्षेत्र ,शाहबाद मारकंडा 20 नवंबर: पेस्टीसाइड के अंधाधुंध प्रयोग से हमने धरती मां की सेहत को खराब किया है तो इसे सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। धरती की सेहत केवल किसी एक-दो के प्रयासों से नहीं सुधरेगी, बल्कि इसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयत्न करने होंगे। यह बात सीकरी फार्म की सह संस्थापक यशिका आहुजा ने कही। वे रविवार को जींद स्थित हमेटी संस्थान से आए 30 प्रशिक्षुओं को संबोधित कर रही थीं।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा जींद में स्थापित हरियाणा एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हमेटी के 30 प्रशिक्षु डॉ. संजीव कुमारी और राजेश कुमार के नेतृत्व में फार्म पर पहुंचे। सह संस्थापक ने अपने संबोधन में जैविक खाद की जरूरत, महत्ता और इसके निर्माण की प्रक्रिया के बारे में बारीकी से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जैविक खाद भूमि की फिजिकल, केमिकल और बायोलॉजिकल कंडीशन को सुधारने के साथ-साथ उसकी उर्वरता शक्ति को बढ़ाती है और इसके पेस्टीसाइड की तरह कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आह्वान किया कि उनके कंधे पर किसानों को जागरूक करने की अहम जिम्मेदारी है, इसलिए वे अधिक से अधिक किसानों को जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक करें ताकि हम स्वयं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पौष्टिक अन्न उपलब्ध करवा सकें। इस मौके पर उन्होंने प्रशिक्षुओं के सवालों के जवाब भी दिए। कार्यक्रम में अश्वनी सीकरी, पूनम सिकरी, रजनी देवी, गौरव कुमार, जितेंद्र कुमार, गौरव प्रजापत, ललित मिश्रा, रोहित कल्याणिया, संतोष कुमार, कुमार राजीव और जितेंद्र जीत सहित अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद थे।

प्रशिक्षु बोले- एक दिन के दौरे में हमने बहुत कुछ सीखा

कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षुओं को फार्म को दौरा करवाया गया और जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया की बारीकी से जानकारी दी गई। उन्हें बेड लगाने, केंचुआ छोडऩे से लेकर, खाद में पौषक तत्वों को मिलाने से लेकर पैकिंग की अंतिम प्रक्रिया तक की जानकारी दी गई। अंत में प्रशिक्षु सुरेश कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अनेक स्थानों के दौरे किए हैं, लेकिन जैसा इस फार्म पर सीखने को मिला, वैसा अन्य स्थानों पर नहीं मिला, इसलिए यह दौरा उनके लिए अहम है।

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