अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव के इतिहास में जुड़ेगा गीता शिल्प कला उद्यान से एक नया अध्याय:शांतनु - Discovery Times

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अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव के इतिहास में जुड़ेगा गीता शिल्प कला उद्यान से एक नया अध्याय:शांतनु


कुरुक्षेत्र, अनिल धीमान, 22 नवंबर: गीता शिल्प कला उद्यान से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 के ऐतिहासिक लम्हों के साथ एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। इन ऐतिहासिक लम्हों के साथ अनूठे आंकड़े भी साथ जुड़े है। इस गीता शिल्प कला उद्यान में 4 राज्यों के 21 आधुनिक कला शिल्पियों ने 21 दिन लगातार दिन-रात मेहनत करके 21 शिल्प मूर्तियों को तैयार किया। अब इन 21 मूर्ति शिल्प कला को सजाने के लिए गीता शिल्पकला उद्यान का रुप दिया गया है। इस गीता उद्यान शिल्पकला की योजना को अमलीजामा पहनाने का कार्य हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने किया है।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा विश्व की एकमात्र ऐसी धरा है, जहां युद्घस्तर पर मंडराते महाकाल के बीच शाश्वत जीवन दर्शन का उद्घोष हुआ। यह उदघोष कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर हुआ। आज 5159 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के जो उपदेश दिए थे, आज पूरा विश्व उन उपदेशों का अनुसरण कर रहा है। इस विषय को जहन में रखकर ही प्रदेश सरकार की तरफ से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को लगातार बड़ा स्वरूप दिया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रशासन और प्रदेश सरकार की तरफ से हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान कुछ ना कुछ नया करने का प्रयास किया जाता है। इस विषय को जहन में रखकर पिछले वर्ष के महोत्सव में कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग तथा केडीबी के संयुक्त प्रयासों से मूर्ति शिल्पकला का कार्य शुरु किया था और 21 शिल्पकारों ने अद्भुत मूर्तियों को तैयार किया।
उन्होंने कहा कि देवभूमि कुरुक्षेत्र के पुरुषोत्तमपुरा बाग में राष्टï्रीय ध्वज के चारों तरफ की पार्क को गीता मूर्ति शिल्प उद्यान के रुप में विकसित किया गया है। इस उद्यान में आजादी के 75वें अमृत महोत्सव मॉडल, गीता एवं भारतीय संस्कृति के अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इन मूर्तियों को हरियाणा राज्य के साथ-साथ उड़ीसा, तेलंगाना, राजस्थान और असम के 21 शिल्पकारों ने 21 दिन-रात का अथक प्रयास करने के उपरांत 21 मूर्तियों को तैयार किया गया है। इन होनहार कला शिल्पियों के साथ हृदय कौशल के नेतृत्व में बनाए गए खूबसूरत मुर्ति शिल्पियों तथा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के प्रयास सराहनीय है। यह मूर्तियां निश्चित ही राज्य एवं राष्ट्र का 75वें आजादी के अमृत महोत्सव के गीता महोत्सव का स्थायी गवाह भी बनेंगी। इस अतुलनीय कार्य से राज्य में लुप्त होती आधुनिक मूर्तिकला के साथ-साथ राज्य के युवा कलाकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पायदान मिलेगा।
उपायुक्त ने कहा कि सदियों तक जिंदा रहने वाली यह आधुनिक अदभुत कला राज्य का गौरव एवं मान-सम्मान बढाएंगी। इस गीता शिल्प कला उद्यान का उदघाटन 29 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व मुख्यमंत्री मनोहर लाल करेंगे। इस शिल्पकला उद्यान के उदघाटन समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गई है। यह उद्यान रात्रि के समय में ओर भी खूबसूरत लगेगा। इन मूर्तियों के साथ-साथ रंग-बिरंगी लाइटे भी लगाई गई है ताकि महोत्सव के दौरान मूर्ति कला उद्यान को देखने का खुब आनंद भी आए।

किन-किन शिल्पकारों ने तैयार की मूर्तियां

गीता शिल्प कला उद्यान में 4 राज्यों के 21 शिल्पकारों ने मूर्तियां तैयार की है, जिनमें कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी (मूर्तिकला) ह्दय कौशल, जींद से अमित कुमार, भिवानी से अरुण, असम गोवाहटी से अरुणधती चौधरी, रोहतक से दीनेश सेवाल, कुरुक्षेत्र से गोल्डी, सिरसा से हरपाल, करनाल से कुलदीप सिंह, कमला नगर रोहतक से महिपाल, चांग हरियाणा से मदन सैनी, जींद से मोनू, मीनाक्षी, राजस्थान से नेमा राम, झज्जर से नरेंद्र, कुरुक्षेत्र से प्रिंस शर्मा, उडीसा से राकेश पटनायक, रेवाड़ी से राहुल, तेलंगाना से डा. स्नेहलता प्रसाद, सोनीपत से स्वीप राज, महरौली दिल्ली से सुशांक कुमार, चंडीगढ़ से विरेंद्र कुमार शामिल है।

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