कुरुक्षेत्र 30 नवम्बर: धर्मनगरी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी एवं पातशाही पहली में श्री गुरु नानक देव जी महाराज का प्रकाश उत्सव श्रद्धाभाव से मनाया गया। प्रकाश उत्सव पर दोनों गुरुद्वारा साहिबान में समागम करवाया गया, जिसमें पंथ के रागी व ढाडी जत्थों ने संगत को गुरु इतिहास से जोड़ा। गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी में करवाए गए कार्यक्रम में थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, सांसद नायब सिंह सैनी, एसजीपीसी अंतरिम कमेटी मैंबर जत्थेदार हरभजन सिंह मसाना, शिरोमणि अकाली दल महिला विंग हरियाणा की प्रदेशाध्यक्षा बीबी रविंदर कौर, प्रदेश प्रवक्ता कवलजीत सिंह अजराना, धर्म प्रचार कमेटी के मैंबर तजिंदरपाल सिंह लाडवा, जरनैल सिंह बोढी, राजिंदर सिंह सोढी, सब ऑफिस प्रभारी परमजीत सिंह दुनियामाजरा, सिख मिशन हरियाणा प्रभारी भाई मंगप्रीत सिंह सहित संगत ने शिरकत की।
सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, एसजीपीसी अंतरिम कमेटी मैंबर जत्थेदार हरभजन सिंह मसाना ने की शिरकत
जत्थेदार हरभजन सिंह मसाना ने कहा कि गुरबाणी, शब्द और नाम सिमरन कर संगत को पाखंड व अंध विश्वास के मक्कड़ जाल से दूर रहना चाहिए। व्यक्ति को संसारिक यात्रा से मुक्ति दिलाने में सच्चे व पवित्र मन से नाम सिमरन ही अचूक माध्यम है। उन्होंने कहा कि गुरबाणी, शब्द और नाम सिमरन तीनों ही अमृत हैं। इन तीनों से मानव को आत्मिक जीवन व शांति मिलती है। यही संदेश श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने देश-दुनिया को दिया। प्रकाश उत्सव पर गुरुद्वारा साहिब में शीश नवाने पहुंचे सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रभु नाम सिमरन व्यक्ति को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाता है। प्रभु भक्ति पवित्र व सच्चे मन से करनी चाहिए, क्योंकि ईश्वर को भक्ति से पाया जा सकता है, कपट, घमंड या शक्ति से नहीं। इसलिए व्यक्ति को जीवन में सदा नम्र स्वभाव के साथ दूसरों की मद्द करनी चाहिए और प्रतिदिन ईश्वर भक्ति कर अपना जीवन खुशियों से भरना चाहिए।
थानेसर के विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी महाराज द्वारा लोकदिखावे से दूर रह कर मानव सेवा के संदेश का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने दुनिया भर में दीन-दुखियों की सेवा की जो शिक्षा दी है, हमें उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने नाम सिमरन, मिल बांट कर खाने और किरत करने के संदेश को भी अपनाने का आह्वान भी किया। समागम में मंगल सिंह सलपानी ने भी गुरु इतिहास से संगत को जोड़ा। कार्यक्रम में गुरबाणी कीर्तन, ढाडी वारों व गुरबाणी कथा के उपरांत सहज पाठ भी किया गया। हैड ग्रंथी ज्ञानी गुरदास सिंह ने गुरु चरणों में सरबत के भले की अरदास की।